इस संकल्प को साकार रूप देने के लिए महाराज जी ने वानप्रस्थ धाम की स्थापना की।
यह केवल एक वृद्धाश्रम नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक सेवा धाम है,
जहाँ वृद्ध माताएँ और पिता अपने जीवन के संध्या काल में स्नेह, सम्मान और ईश्वर के निकटता का अनुभव कर सकें।
वानप्रस्थ धाम का उद्देश्य केवल आश्रय देना नहीं है,
बल्कि वृद्धजनों को जीवन की नई ऊर्जा, आत्मिक शांति और भक्ति का वातावरण प्रदान करना है।
यहाँ हर माँ को ऐसा महसूस हो कि वह किसी संस्था में नहीं, बल्कि अपने ही बेटे के घर में है।
हर सुबह प्रभु नाम का जाप, हर शाम भक्ति संगीत,
और बीच में प्रेम से भरा संवाद — यही है वानप्रस्थ धाम का जीवन।
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🌼 सेवा का स्वरूप
वानप्रस्थ धाम में असहाय वृद्ध माताओं की देखभाल पूरी श्रद्धा और ममता से की जाती है।
महाराज जी स्वयं प्रतिदिन उनके बीच समय बिताते हैं,
उनकी छोटी-छोटी खुशियों का ध्यान रखते हैं,
कभी उन्हें अपने हाथों से भोजन कराते हैं,
तो कभी उनके दुःख में उनका हाथ थाम लेते हैं।
यहाँ केवल सेवा नहीं होती,
यहाँ “माँ और बेटे” का रिश्ता फिर से जी उठता है।
महाराज जी कहते हैं —
> “वृद्ध सेवा ईश्वर की सर्वोच्च पूजा है।
जिसने अपने माता-पिता की सेवा की, उसने साक्षात भगवान की आराधना की।”