


पूज्य श्री चतुर नारायण पराशर जी महाराज — हमारे पथप्रदर्शक
“सेवा ही साधना है, और साधना ही जीवन का सर्वोच्च मार्ग।”
पूज्य श्री चतुर नारायण पराशर जी महाराज उन विरले संतों में से हैं जिन्होंने अपने जीवन को पूर्णतः सेवा और करुणा को समर्पित कर दिया है। बचपन से ही आपका हृदय भक्ति एवं साधना की ओर प्रवृत्त रहा, लेकिन समय के साथ यह भावना केवल व्यक्तिगत साधना तक सीमित नहीं रही—यह बदलकर एक दिव्य संकल्प बन गई।
यह संकल्प था—ऐसा धाम स्थापित करना जहाँ बुज़ुर्ग माताओं को नया परिवार मिले, जहाँ बेसहारा गौमाताओं को सुरक्षित आश्रय मिले, जहाँ साधक, संत और सेवक सम्मान, प्रेम और सात्त्विक वातावरण में रह सकें। इसी संकल्प ने जन्म दिया वानप्रस्थधाम को—एक ऐसे जीवंत आश्रम को जो आज हजारों लोगों का सहारा बन चुका है।
महाराज जी का जीवन–मंत्र है—“निष्काम सेवा ही परम साधना है”। वे उन माताओं के लिए बेटा बनकर खड़े हैं जिन्हें अपने ही परिवारों से उपेक्षा मिली। वे उन गौमाताओं के लिए रक्षक हैं जिन्हें सड़क पर छोड़ दिया गया। वे धाम में आने वाले हर संत, सेवक और बालक को प्रसाद–रूप भोजन और स्नेह प्रदान करते हैं।
आज वानप्रस्थधाम उनके स्नेह और त्याग का प्रत्यक्ष स्वरूप है— जहाँ हर आगंतुक को अपनापन, शांति और आध्यात्मिक ऊर्जाओं का दिव्य अनुभव मिलता है।
बुज़ुर्ग माताओं की सेवा, गौमाता की रक्षा और अन्न–सेवा में प्रेम से जुड़ना—
यही मनुष्य जन्म की सर्वोच्च साधना है।
जिसे सेवा का अवसर मिला… वही वास्तव में सौभाग्यशाली है।
पूज्य श्री चतुर नारायण पराशर जी महाराज का यह दिव्य संदेश केवल वाक्य नहीं, बल्कि पूरे वानप्रस्थधाम की आत्मा है। यहाँ हर कार्य, हर सेवा और हर नियम इसी सिद्धांत पर आधारित है कि बिना स्वार्थ की सेवा ही सच्ची भक्ति है।
महाराज जी बताते हैं कि मानव जीवन का दूसरा चरण—विशेषकर 50 वर्ष के बाद— ईश्वर के निकट आने का स्वर्णिम काल है। यह वह समय है जब मनुष्य को सेवा, साधना, जप–तप और आत्मिक उन्नति में लगना चाहिए, ताकि जीवन धन्य हो सके।
वानप्रस्थधाम में रहने वाली हर माँ, हर गौमाता और हर अतिथि महाराज जी के लिए भगवान का रूप है। इसलिए यहाँ सेवा केवल कर्म नहीं, बल्कि प्रेम, करुणा और आध्यात्मिक समर्पण का मार्ग है।
महाराज जी का मानना है कि जो व्यक्ति किसी रूप में भी सेवा से जुड़ता है— चाहे वह अन्न–सेवा हो, गौ–सेवा हो, या बुज़ुर्ग माताओं की सेवा— वह अपने कुल में आशीर्वाद, सुख और आध्यात्मिक समृद्धि का द्वार खोलता है।
Vanprasth Dham – मुख्य सेवाएँ
वानप्रस्थधाम में प्रतिदिन विभिन्न प्रकार की सेवाएँ चल रही हैं – गौ–सेवा, संत–सेवा, वृध्द–सेवा और बंदर–सेवा। आप भी इनमें से किसी भी सेवा से जुड़कर अपना योगदान दे सकते हैं।
वानप्रस्थधाम में समय–समय पर भक्ति, सेवा और साधना से जुड़े विशेष कार्यक्रम, कथाएँ और शिविर आयोजित किए जाते हैं। आप भी इन पावन आयोजनों का हिस्सा बन सकते हैं।
Pujya Chatur Naryan Ji Satsang – Videos
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